ब्यूरो।। प्रेम वर्मा

सिंगरौली ।। नगर निगम सिंगरौली के कई पार्षदों ने अध्यक्ष देवेश पाण्डेय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कलेक्टर महोदय और भाजपा जिलाध्यक्ष के समक्ष औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया था। पार्षदों को आज 3 अक्टूबर को सुनवाई का समय दिया गया था। पार्षदों ने बताया कि नगर निगम अधिनियम की धारा 31 के अनुसार, आवेदन दिए जाने के 10 दिन के भीतर कार्रवाई पूरी होनी चाहिए। लेकिन शासन-सत्ता के दबाव के चलते कार्रवाई को आगे बढ़ा दिया गया, जिससे पार्षदों में नाराज़गी देखने को मिली है। पार्षदों का कहना है कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है और उन्होंने इसकी कड़ी निंदा की है।

जाने क्या था पूरा मामला- नगर निगम के अध्यक्ष देवेश पाण्डेय के खिलाफ पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इस संबंध में पार्षदों ने कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी को ज्ञापन सौंपकर, मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 23-क के तहत कार्रवाई की मांग की थी। नगर पालिक निगम सिंगरौली में सियासी उठापटक तेज हो गई है। निगम अध्यक्ष देवेश पाण्डेय की कुर्सी अब सुरक्षित नजर नहीं आ रही है, क्योंकि नगर निगम के कई पार्षदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की औपचारिक पहल कर दी है। इस संबंध में कलेक्टर एवं विहित प्राधिकारी को ज्ञापन सौंपा था जिसमें अध्यक्ष पर गंभीर कार्यप्रणाली संबंधी आरोप लगाए गए थे। पार्षदों के अनुसार, 03 मार्च 2025 को हुई बैठक को लेकर वार्ड क्रमांक 24 की पार्षद श्रीमती शिवकुमारी ने उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायालय ने बैठक को निरस्त कर दिया। इसी तरह 27 मार्च से 07 अप्रैल 2025 तक हुई बैठकों को लेकर वार्ड क्रमांक 15 की पार्षद श्रीमती अर्चना विश्वकर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस पर 29 अप्रैल 2025 को न्यायालय ने परिषद की कार्यवाही के कई प्रस्तावों पर स्थगन आदेश दिया। पार्षदों का कहना है कि अध्यक्ष द्वारा बार-बार नियमों की अनदेखी की जा रही है और परिषद की बैठकों में पार्षदों की राय लिए बिना ही निर्णय लिए जा रहे हैं। इससे पार्षदों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

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