संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान पर लाए गए एक मसौदा प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान से परहेज किया और कहा कि ‘‘सब कुछ सामान्य मान लेने” वाले दृष्टिकोण से ऐसे परिणाम प्राप्त होने की संभावना नहीं है, जिनकी कल्पना वैश्विक समुदाय ने अफगान लोगों के लिए की है.

‘अफगानिस्तान की स्थिति’ पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए एक मसौदा प्रस्ताव को 193-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी. UN महासभा के इस प्रस्ताव में तालिबान के कंट्रोल के बाद अफगानिस्तान में गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थितियों, लगातार हिंसा और आतंकवादी समूहों की उपस्थिति, राजनीतिक समावेशिता और प्रतिनिधि निर्णय लेने की कमी के साथ-साथ महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मतदान की व्याख्या करते हुए कहा कि संघर्ष के बाद की परिस्थितियों से निपटने के लिए किसी भी प्रभावी नीति में विभिन्न उपायों का संतुलन होना चाहिए, जिसमें सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करना और हानिकारक क्रियाकलापों को रोकना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण हासिल करने के बाद से अफगानिस्तान में बढ़ते मानवीय संकट से निपटने के लिए कोई नई नीतिगत व्यवस्था लागू नहीं की गई है। हरीश ने कहा, “नई और लक्षित पहलों के बिना सामान्य मान लेने वाला रवैया अपनाने से उन परिणामों की प्राप्ति संभव नहीं है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगान लोगों से अपेक्षा करता है।”

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